सर्वप्रथम महर्षि पाणिनि ने संस्कृत भाषा पर अष्टाध्यायी की रचना करके संस्कृत भाषा को संस्कृत किया। पाणिनि की अष्टाध्यायी में कुछ आठ अध्याय है, इसीलिए इसे अष्टाध्यायी कहते है। महामुनि कात्यायन और महामुनि पतंजलि ने अष्टाध्यायी पर अपनी वार्तिका और महाभाष्य की रचना की।
बाद में आचार्य श्रीरामचन्द्र ने पठन-पाठन की सुविधा के लिए प्रक्रिया-कौमुदी का निर्माण किया। बाद में, श्री भट्टोजिदीक्षित ने इसमें सुधार करके सिद्धान्तकौमुदी की रचना की। श्री भट्टोजि के शिष्य श्री वरदराज ने छात्रों की सुविधा के लिए सिद्धान्तकौमुदी को दो भागों में विभक्त किया -- लघुसिद्धान्तकौमुदी और मध्यकौमुदी। लघुसिद्धान्तकौमुदी में अष्टाध्यायी के 3965 सूत्रों में से 1276 सूत्र है जबकि मध्यकौमुदी में 2315 सूत्र है। (देखे. लघुसिद्धान्तकौमुदी पर भीमसेनशास्त्री की भैमीव्याख्या)
IGNOU एम. ए. (संस्कृत) स्वाध्याय सामग्री
खंड-2 कारक प्रकरण - सिद्धान्तकौमुदी
खंड-3 तिङन्त प्रकरण - भू धातु (परस्मैपद)
खंड-4 तिङन्त प्रकरण - एध् धातु (आत्मनेपद)
लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या (डाउनलोड)
लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 1 (अ)
लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 1 (ब)
लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 2
लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 3
लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 4
लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 5
लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 6