Tuesday, February 8, 2022

लघुसिद्धान्तकौमुदी

सर्वप्रथम महर्षि पाणिनि ने संस्कृत भाषा पर अष्टाध्यायी की रचना करके संस्कृत भाषा को संस्कृत किया। पाणिनि की अष्टाध्यायी में कुछ आठ अध्याय है, इसीलिए इसे अष्टाध्यायी कहते है। महामुनि कात्यायन और महामुनि पतंजलि ने अष्टाध्यायी पर अपनी वार्तिका और महाभाष्य की रचना की। 

बाद में आचार्य श्रीरामचन्द्र ने पठन-पाठन की सुविधा के लिए प्रक्रिया-कौमुदी का निर्माण किया। बाद में, श्री भट्टोजिदीक्षित ने इसमें सुधार करके सिद्धान्तकौमुदी की रचना की। श्री भट्टोजि के शिष्य श्री वरदराज ने छात्रों की सुविधा के लिए सिद्धान्तकौमुदी को दो भागों में विभक्त किया -- लघुसिद्धान्तकौमुदी और मध्यकौमुदी।  लघुसिद्धान्तकौमुदी में अष्टाध्यायी के 3965 सूत्रों में से 1276 सूत्र है जबकि मध्यकौमुदी में 2315 सूत्र है। (देखे. लघुसिद्धान्तकौमुदी पर भीमसेनशास्त्री की भैमीव्याख्या)

IGNOU एम. ए. (संस्कृत) स्वाध्याय सामग्री

खंड-1 सुबन्त प्रकरण

खंड-2 कारक प्रकरण - सिद्धान्तकौमुदी

खंड-3 तिङन्त प्रकरण - भू धातु (परस्मैपद)

खंड-4 तिङन्त प्रकरण - एध् धातु (आत्मनेपद)

खंड-5 तिङन्त प्रक्रिया

खंड-6 कृदन्त प्रकरण

खंड-7 तद्धित प्रकरण


लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या (डाउनलोड)


लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 1 (अ)

लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 1 (ब)

लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 2

लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 3

लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 4

लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 5

लघुसिद्धान्तकौमुदी भैमीव्याख्या - भाग 6



लघुसिद्धान्तकौमुदी पर अरुणकुमार पाण्डेय की यूट्यूब विडिओ शृंखला (हिन्दी में)


Saturday, February 5, 2022

ज्ञानकोश के बारे में

आज के युग में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में इन्टरनेट का बहुउपयोगी है। इन्टरनेट पर अनेक विषयों पर विभिन्न प्रकार की अध्ययन सामग्री उपलब्ध हैं। अक्षर ज्ञान कोष का उद्देश्य ज्ञान के जिज्ञासुओं की सहायता के लिए विविध प्रकार की अध्ययन सामग्री को एक स्थान पर उपलब्ध करना है। मुख्य विषय है - भाषा. साहित्य और दर्शन। इस ब्लॉग में दिए गए सूत्र वैसे तो सभी आयु के जिज्ञासुओं के लिए उपयोगी है किन्तु वे व्यसक जिज्ञासुओं लिए अधिक उपयोगी है। 

किसी भी विषय की सामग्री को तीन स्तरों पर रखा जा सकता है --

1. प्रथम स्तर अथवा प्राथमिक स्तर

यह शिक्षा का प्रथम स्तर है। इस स्तर पर वर्णमाला से लेकर भाषा को पढ़ने, समझने और लिखने से लेकर छोटी कहानियाँ, कविताओं की अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। जो लोग भाषा को पढ़ लिख नहीं पाते या भाषा में निपुणता नहीं है, वह इस स्तर से आरम्भ करे।

इसके अन्तर्गत हिन्दी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेजी भाषा और साहित्य से सम्बन्धित पाठ होंगे। अन्य भाषाएँ और साहित्य बाद में जोड़े जाएंगे।

2. द्वितीय स्तर अथवा माध्यमिक स्तर

इस स्तर पर दसवीं और बारहवीं के स्तर की अध्ययन सामग्री होगी। इसके अन्तर्गत भाषा और साहित्य के साथ-साथ विषय जैसे सामान्य गणित, विज्ञान,  पर्यावरण, सामामिक विषयों की सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी। जिससे जिज्ञासुओं को उच्च स्तर के विषय को समझने में आसानी हो।

3. उच्च स्तर अथवा स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर

इस स्तर पर सनातक और सनातकोत्तर स्तर की सामग्री होगी। इस स्तर पर भाषा और साहित्य के साथ-साथ दर्शन से सम्बन्धित सामग्री भी होगी।

दर्शन के विषय में यहाँ इतना उल्लेख करना उचित होगा कि दर्शन मानव जीवन के उद्देश्य का अध्ययन है। दार्शनिक चिन्तन का मुख्य उद्देश्य जीवन की अर्थवत्ता की खोज है। ऐतिहासिक दृष्टि से ज्ञान-विज्ञान की सभी शाखाएँ दर्शनशास्त्र का अंग थी। आरम्भ में, गणित, खगोल-शास्त्र, चिकित्सा और भौतिकी इत्यादि विषय दर्शनशास्त्र का अंग थे। इसी प्रकार समाजशास्त्र के अनेक विषय जैसे मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञान, भाषा-विज्ञान और अर्थशास्त्र भी दर्शनशास्त्र के अन्तर्गत आते थे। आधुनिक काल में विभिन्न विषय अपने विस्तार के कारण दर्शनशास्त्र से स्वतन्त्र हो गए। आज भी, शिक्षा की सबसे ऊँची उपाधि  PHD अथवा डॉक्टर ऑफ फिलोस्फी या दर्शन का आचार्य) है। 

आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं का स्वागत है!

धन्यवाद।

लघुसिद्धान्तकौमुदी

सर्वप्रथम महर्षि पाणिनि ने संस्कृत भाषा पर अष्टाध्यायी की रचना करके संस्कृत भाषा को संस्कृत किया। पाणिनि की अष्टाध्यायी में कुछ आठ अध्याय है...